Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग

latest
{Featured}{slider-7}

रायपुर : नवीन तालाब बना गांव की जीवनधारा

  राधारमण नगर के ग्रामीणों के चेहरे पर लौटी मुस्कान रायपुर, 13 नवम्बर 2025 ग्राम पंचायत सोनवर्षा के ग्राम राधारमणनगर के ग्रामीणों के लिए नया...

 

 नवीन तालाब बना गांव की जीवनधारा

राधारमण नगर के ग्रामीणों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

रायपुर, 13 नवम्बर 2025

 नवीन तालाब बना गांव की जीवनधारा

ग्राम पंचायत सोनवर्षा के ग्राम राधारमणनगर के ग्रामीणों के लिए नया तालाब किसी वरदान से कम नहीं है। कभी जहां गर्मियों में बूंद-बूंद पानी के लिए लोगों को मीलों पैदल चलना पड़ता था, वहीं आज यह तालाब ग्रामीणों की प्यास बुझाने के साथ-साथ खेती और आजीविका का आधार बन चुका है। यह परिवर्तन संभव हुआ है महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत कराए गए नवीन तालाब निर्माण कार्य से, जिसकी लागत 12.80 लाख रुपए रही।

 नवीन तालाब बना गांव की जीवनधारा

जल संकट से जूझते गांव में जल जीवन का नया अध्याय
राधारमणनगर गांव लंबे समय से पानी की गंभीर समस्या से गुजर रहा था। यहां का भूमिगत जल स्तर लगभग 450 फीट से नीचे चला गया था, जिससे हैंडपंप सूख जाते थे और गर्मियों में ग्रामीणों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता था। ऐसे में ग्राम पंचायत सोनवर्षा द्वारा खदान के पास जल संरक्षण और संचयन के उद्देश्य से नया तालाब बनवाया गया। यह तालाब अब वर्षा जल को सुरक्षित रखता है और साल भर ग्रामीणों के उपयोग के लिए जल उपलब्ध कराता है।

तकनीकी दृष्टि से मजबूत निर्माण - हर बूंद का संरक्षण
तालाब निर्माण के दौरान तकनीकी पहलुओं का विशेष ध्यान रखा गया। इसके बांध की चौड़ाई और ऊंचाई को इस तरह मापा गया कि वर्षा का पानी सुरक्षित रूप से जमा रहे और बांध को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। साथ ही, तालाब की गहराई को अधिक रखा गया ताकि जल लंबे समय तक टिक सके। कार्य का क्रियान्वयन पूरी तरह महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत के मार्गदर्शन में किया गया, जिससे न केवल जल संरक्षण हुआ बल्कि निर्माण के दौरान ग्रामीणों को रोजगार भी मिला।

परिवर्तन की दिशा में मील का पत्थर
तालाब निर्माण के बाद गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। पहले जहां खेत सूख जाते थे और फसलें मुरझा जाती थीं, वहीं अब तालाब के आसपास की जमीन में नमी बनी रहती है। इससे खेतों की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। किसानों के चेहरों पर अब संतोष की मुस्कान है क्योंकि उनकी मेहनत अब फसल के रूप में रंग ला रही है।

आजीविका का नया साधन - मछली पालन से बढ़ी आय
तालाब केवल जल संरक्षण का माध्यम नहीं रहा, बल्कि इसने ग्रामीणों को नई आय का स्रोत भी प्रदान किया है। ग्राम राधारमणनगर के ग्रामीण बाबू सिंह, जीत नारायण (जॉब कार्ड नं. 001/29) तथा श्री एक्का प्रसाद और रविशंकर (जॉब कार्ड नं. 001/79) ने मिलकर तालाब में 3000 मछली बीज छोड़े हैं। इन ग्रामीणों द्वारा तालाब का नियमित रूप से रखरखाव किया जा रहा है। मछली पालन से उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। साथ ही, तालाब का पानी अब सिंचाई के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है, जिससे खेतों में सालभर हरियाली बनी रहती है।

ग्रामीणों की जुबान - अब पानी की नहीं कोई कमी
ग्राम के निवासी श्री बाबू सिंह कहते हैं कि पहले गर्मियों में हमें पानी के लिए बहुत परेशानी होती थी। तालाब बनने से अब न केवल पीने और निस्तार का पानी मिलता है बल्कि खेतों की सिंचाई भी आसानी से हो जाती है। मछली पालन से हमें अतिरिक्त आमदनी का साधन मिला है। यह तालाब हमारे लिए अमृत सरोवर से कम नहीं।

स्थायी विकास की मिसाल बना राधारमण नगर
आज सोनवर्षा-राधारमण नगर गांव का यह तालाब जल संरक्षण, संचयन और आजीविका संवर्धन का प्रेरक उदाहरण बन गया है। इस कार्य ने यह साबित कर दिया है कि यदि सामूहिक प्रयास और तकनीकी समझदारी के साथ योजनाओं को क्रियान्वित किया जाए, तो किसी भी क्षेत्र में जल संकट जैसी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। ग्राम पंचायत सोनवर्षा का यह प्रयास मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में जल प्रबंधन का एक आदर्श मॉडल बन चुका है, जो अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी प्रेरणास्रोत है।

हर बूंद में समाई उम्मीद
राधारमण नगर का यह नवीन तालाब सिर्फ पानी का भंडार नहीं, बल्कि गांव की खुशहाली का प्रतीक बन चुका है। इससे न केवल जल संरक्षण सुनिश्चित हुआ है, बल्कि रोजगार, कृषि और मछली पालन के माध्यम से ग्रामीणों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह कहानी बताती है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो हर बूंद से बदलाव संभव है, और यही तालाब उस परिवर्तन का साक्षी है जिसने गांव को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया है।

No comments